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Friday, July 22, 2011

बायो-डीज़ल - पर्यावरण अनुकूल ईंधन by तरित मुखर्जी

दिन प्रति दिन हमारी जीवन शैली जितनी विकसित होती जाती है उतना ही हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। टेलीविज़न देखने से लेकर कम्‍प्‍यूटर पर काम करने तक, हवाई जहाज में सफर करने से लेकर अपने पसंदीदा पर्यटन स्‍थल पर जाने तक हमारा हर कदम किसी न किसी तरह से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है । दुनिया भर में दिन प्रति दिन वायु एवं जल प्रदूषण स्‍तर बढ़ता जा रहा है। हवा, सौर एवं परमाणु ऊर्जा जैसे वैकल्पिक संसाधनों के उपयोग की आवश्‍यकता इससे पहले इतनी अधिक कभी नहीं रही ।


भारत पेट्रोलियम के सबसे बड़े उपभोक्‍ता एवं आयातक देशों में से एक है। भारत अपनी पेट्रोलियम मांग का करीब 70 प्रतिशत आयात करता है। भारत में डीज़ल की वर्तमान वार्षिक खपत लगभग 4 करोड़ टन है जो पेट्रो उत्‍पादों की कुल खपत का करीब 40 प्रतिशत है। भारत द्वारा पेट्रो-उत्‍पाद की खपत के मामले में बायो डीज़ल प्रमुख प्रतिस्‍थापक हो सकता है जो पर्यावरण अनुकूल भी है।
बायो-डीज़ल स्‍वच्‍छ पर्यावरण अनुकूल और प्राकृतिक तेल है जो रासायनिक रूपांतरण प्रक्रिया के जरिए तेल युक्‍त पेड़ से निकाला जाता है। यह प्रक्रिया ट्रांसएस्‍टेरीफिकेशन कहलाती है और यह रासायनिक प्रसंस्‍करण संयंत्र में सम्‍पन्‍न होती है। ट्रांसएस्‍टेरीफिकेशन बहुत पुरानी रासायनिक प्रक्रिया है तथा यह वनस्‍पति तेल या वसा को बायो डीज़ल में बदलने की जांची-परखी विधि है।


बायो-डीज़ल वनस्‍पति तेलों (जैसे तिलहन, सरसों और सोयाबीन ), पशु वसा या शैवाल से बनाया गया बायो-डीज़ल होता है। बायो-डीज़ल को डीजल इंजनों के वाहनों में इस्‍तेमाल के लिए डीजल में मिलाया जा सकता है। बायो-डीज़ल ऐसा शब्‍द है जो जैविक (कभी जीवित ) पदार्थ से निर्मित किसी भी ठोस, तरल या गैसीय ईंधन के‍ लिए प्रयुक्‍त होता है। इस शब्‍द में बहुत से उत्‍पाद शामिल होते हैं जिनमें से आज कुछ व्‍यावसायिक रूप से उपलब्‍ध हैं और कुछ पर अब भी शोध और विकास कार्य जारी है। बायो-डीज़ल ऐसा ईंधन है जो पौधों के तेल से बनता है जो पारंपरिक डीजल इंजनों में इस्‍तेमाल किया जा सकता है।

बायो-डीज़ल सूरजमुखी, सरसों, राई या जट्रोफा (भागवेरांडा ) के तेल या वसा से निकाला जाता है और इसे डीजल के विकल्‍प या उसमें मिलाकर इस्‍तेमाल किया जा सकता है। वैकल्पिक ईंधन के रूप में बायो-डीज़ल पारंपरिक डीजल ईंधन जितनी पॉवर उपलब्‍ध करा सकता है और इस प्रकार इसे डीजल इंजनों में इस्‍तेमाल किया जा सकता है । बायो-डीज़ल नवीकरणीय तरल ईंधन है जो स्‍थानीय रूप से उत्‍पन्‍न किया जा सकता है, इस तरह इससे आयातित कच्‍चे पेट्रोलियम डीजल पर देश की निर्भरता कम करने में मदद मिलती है।


बायो-डीज़ल सुरक्षित वैकल्पिक ईंधन है जो पारंपरिक पेट्रोलियम डीजल का स्‍थान ले सकता है। इसमें उच्‍च स्‍तर की चिकनाहट होती है और यह स्‍वच्‍छ जलने वाला ईंधन है तथा मौजूदा डीजल इंजनों में बिना किसी संशोधन के इस्‍तेमाल किया जा सकता है। इसका मतलब है कि किसी भी डीजल चालित दहन इंजन में बायो-डीज़ल ईंधन इस्‍तेमाल करते समय कुछ भी नया जोड़ने की आवश्‍यकता नहीं है। यह एकमात्र वैकल्पिक ईंधन है जो ऐसी सुविधा देता है। बायो-डीज़ल पेट्रोलियम डीजल की तरह कार्य करता है लेकिन इससे वायु प्रदूषण कम होता है और यह नवीकरणीय स्रोतों से बनता है। यह जैवअवक्रम्‍य है और पर्यावरण के लिए ज्‍यादा सुरक्षित है। बायो-डीज़ल उत्‍पन्‍न करने से स्‍थानीय आर्थिक पुनरुद्धार में मदद मिल सकती है तथा स्‍थानीय पर्यावरण को लाभ हो सकता है। स्‍थानीय, राज्‍य और राष्‍ट्रीय स्‍तर पर बायो-डीज़ल के इस्‍तेमाल को बढ़ावा देने के लिए कई समूह पहले ही इच्‍छुक हैं।
बायो-डीज़ल पर्यावरण के लिए नुकसानदायक नहीं है। किसी भी वाहन में पर्यावरण को प्रदूषित करने की प्रवृत्ति होती है तथा यदि इंजन एचएसडी से इंजेक्‍ट होता है तो वह हानिकारक गैसे उत्‍सर्जित करता है जबकि यदि इंजन में बायो-डीज़ल इस्‍तेमाल किया जा रहा है तो उससे कोई हानिकारक गैस नहीं निकलती और पर्यावरण भी प्रदूषण मुक्‍त रहता है। बायो-डीज़ल के लिए इंजन में किसी संशोधन की ज़रूरत भी नहीं होती। बिना किसी बाधा के इंजन की दक्षता बढ़ाने के लिए इसे डीजल के साथ मिलाकर भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है। बायो-डीज़ल सस्‍ता भी है। बायो-डीज़ल इस्‍तेमाल करने वाले वाहन को चालू करते समय बहुत कम शोर होता है। यह ध्‍यान देने योग्‍य बात है कि बायो-डीज़ल में 100 से अधिक सीटेन नंबर होते हैं। सीटेन नंबर ईंधन के ज्‍वलन की गुणवत्‍ता मापने के लिए प्रयुक्‍त किया जाता है। बायो-डीज़ल किफायती है क्‍योंकि इसका उत्‍पादन स्‍थानीय स्‍तर पर किया जा सकता है।


बायो-डीज़ल इस्‍तेमाल करने में आसान है इसलिए इसे मौजूदा इंजनों, वाहनों में इस्‍तेमाल किया जा सकता है और बुनियादी ढांचे में व्‍यावहारिक रूप से कोई परिवर्तन की जरूरत नहीं होती है। बायो-डीज़ल को ठीक पेट्रोलियम डीजल ईंधन की तरह पम्‍प, भंडारित और जलाया जा सकता है। इसे शुद्ध रूप से या किसी भी अनुपात में पेट्रोलियम डीजल ईंधन में मिलाकर इस्‍तेमाल किया जा सकता है। बायो-डीज़ल इस्‍तेमाल करने से पॉवर और ईंधन की बचत व्‍यावहारिक रूप से पेट्रोलियम डीजल ईंधन के लिए पहचानी गई है तथा वर्ष भर के ऑप्रेशन से डीजल ईंधन में मिलाकर इसे हासिल किया जा सकता है।

बायो-डीज़ल पेट्रोलियम डीजल ईंधन की तुलना में कार्बन मोनो ऑक्‍साइड, पर्टिकुलेट मैटर, बिना जले हाइड्रोकार्बन और सल्‍फेट के उत्‍सर्जन में महत्‍वपूर्ण कमी करता है। इसके अतिरिक्‍त, पेट्रोलियम डीजल की तुलना में बायो-डीज़ल कैंसरकारी यौगिकों के उत्‍सर्जन में 85 प्रतिशत तक कमी करता है। जब इसे पेट्रोलियम डीजल ईंधन में मिलाया जाता है तब इनके उत्‍सर्जन में कमी मिश्रण में बायो-डीज़ल के अनुपात से आमतौर पर प्रत्‍यक्ष रूप से संबंधित होती है।


बायो-डीज़ल की कम घटबढ़ वाली प्रकृति के कारण इसे संभालना पेट्रोलियम की तुलना में आसान और सुरक्षित बनाती है। जब ईंधन का भंडारण, परिवहन या हस्‍तांतरण किया जाता है तो सभी तरल ईंधनों में ऊर्जा की मात्रा अधिक होने के कारण दुर्घटनावश दहन का खतरा बढ़ जाता है। दुर्घटनावश दहन की आशंका तापमान से संबंधित होती है जिस पर ईंधन सुलगने के लिए पर्याप्‍त विषाद पैदा करेगा। इस तापमान को फ्लैश पाइंट तापमान के नाम से जाना जाता है। ईंधन का फ्लैश पाइंट जितना नीचे होता है उसका वह तापमान भी उतना ही कम होता है जिस पर ईंधन दहनशील पदार्थ का मिश्रण बना सकता है। बायो-डीज़ल का फ्लैश पाइंट 2660 डिग्री फारेनहाइट से अधिक होता है जिसका मतलब है कि जब तक इसे पानी के क्‍वथन बिंदु से ऊपर गरम न किया जाए, तब तक यह दहनशील पदार्थ का मिश्रण नहीं बना सकता।

बायो-डीज़ल बनाने के लिए इस्‍तेमाल होने वाले संसाधन स्‍थानीय रूप से उपलब्‍ध होते हैं। बायो-डीज़ल का देश में ही उत्‍पादन होने से स्‍थानीय समुदायों के लिए बहुत आर्थिक लाभ उपलब्‍ध होते हैं। इसलिए पारंपरिक पेट्रोलियम डीजल के स्‍थान पर इस्‍तेमाल करने के लिए बायो-डीज़ल सुरक्षित ईंधन विकल्‍प है।


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