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Saturday, June 18, 2011

उठो लाल A POEM FROM MY FRIEND MANAS MUKUL

उठो लाल अब आँखें खोलो


पानी लायी हूँ मुह धो लो

बीती रात कमल दल फूले

जिनके ऊपर भंवरे झूले

चिड़िया चहक उठी पेड़ों पे

बहने लगी हवा अति सुन्दर

नभ में न्यारी लाली छाई

धरती पे प्यारी छवि आई

ऐसा सुन्दर समय न खो

मेरे प्यारे अब मत सो

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